TEAM KNOWLEDGEPEDIA : आज का हमारा टॉपिक ईवीएम मशीन पर है तो आईए दोस्तो आज हम ईवीएम मशीन के बारे में सब कुछ डिटेल में समझते है ईवीएम मशीन एक प्रकार की डिजिटल मशीन है इसका उपयोग चुनाव में किया जाता है यह एक प्रकार की इलेक्ट्रिक वोटिंग मशीन है आज के समय में बहूत से देश इसका उपयोग चुनाब के लिए कर रहे हैं
पहले पेपर वोटिंग होती थी। समय के साथ-साथ इसमें बहुत सारी समस्याएं आने लगीं, कागज और समय की बर्बादी हुई और कई घोटाले हुए, इन्ही को ध्यान में रखते हुए लाई गई ईवीएम (इलेक्ट्रिक वोटिंग मशीन) जो चुनाव आयोग के लिए बहुत उपयोगी है, लेकिन आज कल ईवीएम पर भी बहुत सारे सबल उठने लगे हैं।
सबसे पहले ईवीएम उपयोग केरल में 1982 में हुआ वाहा पर एक उम्मीदवार 123 वोट से हार गया और उसके साथ धोखाधड़ी हुई फिर उसने केस कर दिया और उसने बोला ईवीएम के तहत गड़बडीहुई है ये सब बेकार है और कोर्ट ने फिर से चुनाव कराया और वो 2000 वोट से जीत गया फिर सब को लगा कि ईएमवी में कुछ गड़बड़ होती है और फिर 1988 तक ईवीएम पर बैन लगा दिया गया।
क्या होती है ईवीएम (इलेक्ट्रिक वोटिंग मशीन)…??
ईवीएम ऊपर से तो बहुत ही सरल और साधारण होती है इसमे बटन होते हैं और कुछ सिंगल लाइटें होती हैं लेकिन अंदर से बहुत ही जटिल होती है और बहुत सारी तकनीक का उपयोग होता है आप को लगता होगा कि ये ईवीएम हर चुनाव में अलग-अलग उपयोग होती है तो हम बता दे एक मशीन सिर्फ 2 से 3 बार उपयोग की जाती है। इसके 3 भाग होते हैं एक ईवीएम होती है एक वीवी पैट होती है और एक कंट्रोल यूनिट होती है 7900 रुपये की ईवीएम आती है और 9800 रुपये की कंट्रोल यूनिट आती है और 16000 रुपये की वीवी पैट आती है।
ये मशीन किसी बिजली से कनेक्ट नहीं होती ये बहुत ही अलग तरीके से बनाई जाती है इसमें न तो ब्लूटूथ होता है न ही कोई वाईफाई होता है और न ही कोई बिजली केबल इसमें लग सकती है इसमें जो भी केबल जाती है बिल्कुल अलग टाइप से जाती है ताकी इसको हैक भी नहीं किया जा सके ये एक रजिस्टर टाइप होती है जैसे ही आप बटन दबाओगे आपका वोट वहां पर काउंट हो जाएगा। बैलेट बाली यूनिट से कनेक्ट होती है कंट्रोल यूनिट से जो अधिकारियों के सामने होती है ये अधिकारी जब कंट्रोल यूनिट का बटन दबाते हैं तभी बो बैलेड बाला यूनिट एक्टिवेट होता है उससे पहले कोई कुछ करे कुछ नहीं होता है इसमे एक बार में एक ही है बटन दबेगा आप सोचो कि एक से ज्यादा वोट एक ही बार में डाल दो तो ऐसा नहीं हो सकता अभी कुछ समय पहले तक एक बैलिड यूनिट और एक कंट्रोल यूनिट होता था लेकिन अतिरिक्त सुरक्षा के लिए एक वीवीपैट डिवाइस अभी ऐड की गई इसकी फुल फॉर्म है वोटर वेरिफ़िएबल पेपर ऑडिट ट्रेल इस से एक स्लिप बहार आती है वोट डाल चुका है और ये की वोट कहा डाला है।
50 नकली वोट डाल सकती हैं एक ईवीएम मशीन
हां ये बात बिल्कुल सही है कि एक ईवीएम से 50 फर्जी वोट डाले जा सकते हैं और डाले भी जा रहे हैं लेकिन बो वोट मशीन स्टार्ट होने के तुरंत बाद डाले जाते हैं ये सिर्फ मशीन चेक करने के लिए डाले जाते हैं कि मशीन ठीक से काम कर रही है है कि नहीं जिस से किसी मतदाता के साथ कुछ गलत न हो जाए, इन वोटों की गिनती नहीं होती है। सारे ईवीएम इंडिया में ही बनाई जाती है और इनमें कोई गड़बड़ करने की कोशिश की तो समझो उसकी खैर नहीं, ईवीएम इंडिया में बना कर दूसरे देशों में भी भेजी जाती है। जैसा नेपाल भूटान नामीबिया केन्या और पाकिस्तान पाकिस्तान खुद की तकनीक से ज्यादा हमारी तकनीक का उपयोग करता है और विश्वास करता है ये सरकार की खुद की वेबसाइट पर भी लिखा हुआ है भारत का चुनाव दुनिया का सबसे बड़ा चुनाव होता है 1 बिलियन लोग है जो वोट करते हैं एक दिन में नहीं हो सकती इसमे 1 महीने का समय लगता है।
आप लोग सोचते होंगे कि वोटिंग के समय लाइट चली गई तो क्या होगा असल में कोई दिक्कत नहीं है, क्योंकि बो बैटरी पर चलती है, एक बहुत ही सिंपल 7.5 वॉट की डबल ए जो बैटरी होती है उनको मिला के एक पैक बना दिया जाता है उसको अटैच किया जाता है उसके अंदर अब आप सोचेंगे कि ऐसा क्यू किया जाता है बिजली से भी कनेक्ट किया जा सकता है लेकिन ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि आज भी भारत में कुछ जगह ऐसी है जहां बिजली की सुविधा नहीं है वहा पर भी वोटिंग बड़े आराम से कि जा सकती है पहले जो ईवीएम मशीन थी उसमें 3840 वोट डाले जा सकते थे लेकिन अब इनकी संख्या 2000 कर दी गई है एक ईवीएम में 16 नाम थे लेकिन अब 24 तक हो गए हैं पहले ज्यादा नाम होने पर एक एक्स्ट्रा मशीन लगाई जाती थी
ऑस्ट्रेलिया के अंदर वोट ना देने पर 1000 रुपये का जुर्माना लगता है इसबार 1.35 लाख करोड़ रुपये चुनाव में इस्तेमाल हो रहा है पिछले 2019 में जो चुनाव हुआ उसमें 7000 करोड़ रुपये खर्च हुए वोटिंग के लिए बायोमेट्रिक आधारित वोटर आईडी कार्ड का इस्तेमाल किया जाता है जिस से धोखाधड़ी करने वालों को पकड़ा जा सके इसके लिए अपना आधार कार्ड भी लिंक किया जा सकता है जो नेल पर स्याही लगाई जाती है ये सिल्वर नाइट्रेट की बनाई जाती है इसमें तोड़ा अल्कोहल मिला जाता है जिससे ये लगते ही सुख जाती है इसकी कोस्ट 49 रुपये की बोतल होती है हैऔर 2019 में 26 लाख ऐसी बोतल का ऑर्डर दिया गया थाइनका कुल लागत 333 करोड़ थाएक बोतल में 350 वोटर्स को इंक छाप सकती है एक बार बटन दबाने के बाद मशीन ब्लॉक हो जाती है।
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